तिरुवनंतपुरम में स्थित भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईएसटी) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956 की धारा 3 के तहत मानित विश्वविद्यालय है। आईआईएसटी, भारत सरकार के अंतरिक्ष विभाग के अधीन एक स्वायत्त निकाय के तौर पर कार्यरत है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, अंतरिक्ष अनुसंधान और अंतरिक्ष अनुप्रयोगों में लगे विश्व के अग्रणी वैज्ञानिक संगठनों में से एक है। इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाली जनशक्ति की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ऐसे संस्थान का प्रारंभ किया गया। यह अपने आप में देश का ऐसा प्रथम संस्थान है, जो अंतरिक्ष विज्ञान, अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी एवं अंतरिक्ष अनुप्रयोगों में विशेष ध्यान के साथ स्नातक, स्नातकोत्तर, डॉक्टरल एवं पोस्ट डॉक्टरल स्तर पर उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान करता है। डॉ. जी. माधवन नायर, तत्कालीन अध्यक्ष, इसरो द्वारा 14 सितंबर, 2007 को आईआईएसटी का औपचारिक उद्घाटन किया गया तथा इसका कार्यारंभ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के परिसर में अस्थायी तौर पर हुआ जहाँ से इसरो ने अपने प्रथम रॉकेट का विनिर्माण और प्रमोचन किया था। संस्थान के स्थापक डॉ. जी. माधवन नायर एवं डॉ. बी. एन. सुरेश दोनों ने संस्थान के गठन, सुविधाओं की स्थापना एवं दूरदर्शिता के योगदान में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। डॉ. बी. एन. सुरेश ने वर्ष 2010 में तिरुवनंतपुरम के पास एक स्थिर परिसर में संस्थान की स्थापना करने का नेतृत्व किया था।
आईआईएसटी अंतरिक्ष अध्ययन से संबंधित क्षेत्रों में विभिन्न स्नातक एवं स्नातकोत्तर कार्यक्रम प्रदान करता है। संस्थान वर्तमान में वांतरिक्ष इंजीनियरी और एविओनिकी में दो बी. टेक पाठ्यक्रम तथा इंजीनियरी भौतिकी में बी.टेक के साथ एक दोहरी उपाधि (बी.टेक+विज्ञान निष्णात/एम.टेक) कार्यक्रम तथा निम्नलिखित स्नातकोत्तर कार्यक्रम में किसी एक में विशेषज्ञता प्रदान करता है। (i) विज्ञान निष्णात (खगोल विज्ञान एवं खगोल भौतिकी) (ii) प्रौद्योगिकी निष्णात (पृथ्वी तंत्र विज्ञान) (iii) विज्ञान निष्णात (ठोस अवस्था भौतिकी) एवं (iv) प्रौद्योगिकी निष्णात (प्रकाशिकी इंजीनियरी) । इन शाखाओं में प्रवेश का आधार योग्यता है तथा आईआईएसटी द्वारा निर्धारित मार्गदर्शन के अनुसार आईआईटी द्वारा आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (प्रगत) के आधार पर भर्ती होती है। स्नातक कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता है – मेधावी छात्रों को सहायता धन देना । संस्थान द्वारा निर्धारित न्यूनतम शैक्षिक अपेक्षाएं यदि छात्र पूरी करें तो यहाँ की शिक्षा “पूर्ण निःशुल्क” है। चूंकि अंतरिक्ष विभाग द्वारा आई आई एस टी के प्रौद्योगिकी स्नातक छात्रों को निष्पादन आधारित वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, अतः इसरो/ अंतरिक्ष विभाग को उन्हें आमेलन करने का प्रथम अधिकार होगा। यह इसरो द्वारा उस विशेष शाखा में अधिसूचित रिक्तियों के आधार पर होगा।
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इसके अलावा आईआईएसटी, अंतरिक्ष विज्ञान और अंतरिक्ष इंजीनियरी के पंद्रह क्षेत्रों में निष्णात कार्यक्रम प्रदान करता है। ये प्रौद्योगिकी निष्णात एवं विज्ञान निष्णात कार्यक्रम अंतरिक्ष विभाग / इसरो के वैज्ञानिकों/ इंजीनियरों के साथ साथ छात्रों के लिए भी खुले हुए हैं। शैक्षिक कार्यक्रम, आधार को मज़बूत करने, व्यावहारिक कार्य के माध्यम से वास्तविकताओं का अनुभव करने तथा अंतरिक्ष से संबंधित क्षेत्रों में अपने ज्ञान और समझ को बढावा देने के उद्देश्य से तैयार किए गए हैं। इस तरह ध्यान से तैयार किए गए कार्यक्रम उभरते क्षेत्रों में पर्याप्त अनुभव सुनिश्चित करता है जो ज्ञान संश्लेषण का अनुभव प्रदान करेगा।
संस्थान भविष्य की प्रौद्योगिकियों और अंतरिक्ष अनुसंधान के अनुप्रयोगों के विकास में अनुसंधान के महत्व को पहचानता है। आईआईएसटी युवा छात्रों को पी.एचडी कार्यक्रम के समान पोस्ट डॉक्टरल कार्यक्रमों में मार्गदर्शन कराने एवं पर्यवेक्षण करने हेतु, अपने सभी संकायों को प्रेरित करते हैं। संस्थान सीधे अनुसंधान परियोजनाओं के वित्तपोषण द्वारा संकाय सदस्यों की अनुसंधान आवश्यकताओं का भी समर्थन करता है। संस्थान के संकाय सदस्यों, शोध छात्रों एवं छात्रों द्वारा प्रकाशित समकक्षी पुनरीक्षित जेर्नल पेपर्स के प्रकाशन खर्च संस्थान प्रदान करता है। आईआईएसटी अपने संकाय सदस्यों को संस्थान द्वारा वित्तपोषित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं के माध्यम से इसरो / अंतरिक्ष विभाग के वैज्ञानिकों / इंजीनियरों के साथ सहयोजन करने के लिए प्रोत्साहित करता है। आईआईएसटी अपने संकाय को बाहरी स्रोतों से निधि प्राप्त करने हेतु अनुसंधान प्रस्ताव लिखने के लिए प्रोत्साहित करता है। संस्थान के पास बहुत सारे अंतर्राष्ट्रीय सहयोग भी हैं, जिनमें संस्थान स्तर के समझौता ज्ञापन तथा संकाय – संकाय सहयोग दोनों शामिल हैं।
अब देश के 11 विविध राज्यों से 98 संकाय सदस्य संस्थान में हैं, जिनके समर्थन के लिए काफी संख्या में अध्यापेकतर कर्मचारी भी हैं। संकाय सदस्यों में करीब 23% महिला सदस्य हैं, जबकि परिसर की छात्राओं की संख्या कुल छात्रों का 22% हैं। यहाँ लगभग 560 बी. टेक. छात्र, 160 एम. टेक. / एम. एस. छात्र और 100 से अधिक पीएचडी छात्र हैं। यह परिसर पूर्ण रुप से छात्रों के लिए आवासीय है। करीब 100 एकड क्षेत्र में केरल के अतिसुंदर जगह में यह परिसर स्थित है जो पश्चिमी घाट की प्रतापी गिरि श्रृंखला के निकट है।
संस्थान को सभी शैक्षणिक संस्थानों में एक प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त हुआ था क्योंकि प्रथम कुलाधिपति के रूप में प्रसिद्ध तकनीकी विशेषज्ञ और भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम थे। प्रो. यू. आर. राव एक प्रमुख अंतरिक्ष वैज्ञानिक और इसरो के भूतपूर्व अध्यक्षों में से एक थे। उन्होंने 2015 से 2017 तक दो वर्षों के लिए दूसरे कुलाधिपति के रूप में उत्कृष्टता के साथ संस्थान का मार्गदर्शन किया। डॉ. बी. एन. सुरेश आईआईएसटी के संस्थापक निदेशक हैं। उन्होंने नवंबर 2017 से संस्थान के तीसरे कुलाधिपति के रूप में कार्यभार संभाला है ।
संस्थान को कई प्रमुख व्यक्तियों और दूरदर्शियों से उत्कृष्ट नेतृत्व प्राप्त हुआ है। यह यात्रा डॉ. बी. एन. सुरेश के सक्षम नेतृत्व में शुरू हुई, जिनके बाद आईआईएसटी के निदेशक के रूप में डॉ. के. एस. दासगुप्ता ने 2010 से 2015 तक और डॉ. विनय कुमार डढ़वाल ने 2016 से 2021 तक सेवा की । आईआईएसटी को श्री. एस. सोमनाथ से अत्यधिक समर्थन मिला, जिन्होंने वीएसएससी के निदेशक के रूप में अपनी जिम्मेदारियों के साथ - साथ जुलाई 2021 से जनवरी 2022 तक आईआईएसटी के निदेशक के रूप में सेवा की । श्री. सोमनाथ ने जनवरी 2022 में डॉ. के. शिवन से इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष आयोग के सदस्य सचिव के रूप में कार्यभार संभाला। डॉ. डढ़वाल और श्री. सोमनाथ ने आईआईएसटी में स्टार्ट-अपों की शुरुआत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। विशिष्ट वैज्ञानिक और इसरो जडत्वीय प्रणाली एकक के निदेशक डॉ. डी. सैम दयाल देव ने जनवरी - सितंबर 2022 के बीच आईआईएसटी के निदेशक के रूप में सेवा की। डॉ. उण्णिकृष्णन नायर, वीएसएससी के निदेशक, ने सितंबर 2022 से अक्तूबर 2024 तक आईआईएसटी के निदेशक के रूप में सेवा की। डॉ. नायर के कार्यकाल में आईआईएसटी में इसरो के साथ कई सहयोगी परियोजनाओं के माध्यम से अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों में महत्वपूर्ण वृद्धि हुई, दो आईआईएसटी अंतरिक्ष नीतभार की सफलता, नए समझौता ज्ञापन, और कई स्टार्ट- अपों का उद्भवन हुआ। प्रोफ. दिपांकर बनर्जी ने अक्तूबर 2024 से आईआईएसटी के निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला है। वे एक प्रसिद्ध खगोल भौतिक विज्ञानी हैं जो सूर्य और अंतरिक्ष मौसम पर कार्य कर रहे हैं। उनके कार्य में भू एवं अंतरिक्ष-आधारित उपकरणों से डेटा का उपयोग करके सैद्धांतिक और संख्यात्मक मॉडलिंग करना शामिल है। आईआईएसटी उनके मार्गदर्शन में गर्व से आगे बढ़ रहा है।