वांतरिक्ष इंजीनियरी वायुयानों, प्रमोचन यानों एवं अंतरिक्षयानों के अभिकल्प और विकास से संबंधित है। अधिकांश परंपरागत भू आधारित प्रणालियों के बदले इस प्रकार की प्रणालियों में इष्टतमयिता और विश्वसनीयता परम प्रधान है। यहाँ तरह तरह के प्ररिघटनाओं तथा विभिन्न जटिल प्रणालियों के निष्पादन के भविष्यकथन की सूक्ष्म सैद्धांतिक एवं प्रयोगमूलक विश्लेषण की अपेक्षा रहती है। वांतरिक्ष इंजीनियरी शिक्षण शाखा है जो “रॉकेट विज्ञान” नाम से लोकप्रिय है।
वांतरिक्ष इंजीनियरी के अंतरगत मोटे तौर पर चार प्रधान शाखाएं हैं जैसे – (क) वायुगतिकी एवं उड़ान यांत्रिकी, (ख) ऊष्मीय व नोदन, (ग) अभिकल्प व संरचना एवं (घ) पदार्थ एवं विनिर्माण। आईआईएसटी के वांतरिक्ष इंजीनियरी विभाग के संकाय सदस्य विख्यात संस्थानों के स्नातक हैं उनकी सहायता के लिए अनुभवी और सक्षम तकनीकी कर्मचारी भी तैनात हैं। शिक्षाप्रद एवं अनुसंधानात्मक प्रयोगशालाएं सहित वांतरिक्ष इंजीनियरी विभाग में कई प्रयोगशालाएं विद्यमान हैं। हमारा विश्वास है कि वास्तविक जीवन अनुभवों के बिना तथा सही प्रणालियों के निष्पादन के प्रयोगात्मक अन्वेषण की क्षमता का विकास किए बिना इंजीनियरी शिक्षा अधूरी है।
यह विभाग प्रौद्योगिकी स्नातक का एक, प्रौद्योगिकी निष्णात के तीन एवं पीएचडी कार्यक्रम प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी स्नातक स्तर पर हम बुनियादी पाठ्यक्रम जैसे ठोस यांत्रिकी, तरल यांत्रिकी, ऊष्मा गतिकी, ऊष्मा स्थानांतरण व पदार्थ विज्ञान, तथा अनुप्रयुक्त पाठ्यक्रम वायुगतिकी, गैस गतिकी, नोदन, वायुमंडलीय एवं अंतरिक्ष उड़ान यांत्रिकी, यंत्र सिद्धांत, वांतरिक्ष संरचनाएँ एवं विनिर्माण प्रक्रियाएँ पढाते हैं। प्रौद्योगिकी निष्णात पाठ्यक्रम अनेक प्रगत पाठ्यक्रमों के जरिए मज़बूत आधार एवं गहरा ज्ञान प्रदान करेगा। फिलहाल, विभाग तीन प्रौद्योगिकी निष्णात पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जैसे वायुगतिकी एवं उडान यांत्रिकी, ऊष्मीय एवं नोदन तथा संरचनाएं एवं अभिकल्प। पीएचडी छात्र वांतरिक्ष इंजीनियरी एवं तत्संबंधी क्षेत्रों की खुली समस्याओं के हल करने तथा के ज्ञान विकास में योगदान करते हैं।
वांतरिक्ष इंजीनियरी के स्नातकों को नोदन प्रणाली, वायुगतिकी अभिकल्प, सरंचना प्रणाली, सूक्ष्म विनिर्माण आदि गंभीर पहलुओं पर वांतरिक्ष इंजीनिजरी उद्योग से संबंधित चुनौतीपूर्ण कार्य निभाने में सक्षम बनाया जाता है। उनमें अधिकांश भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) में कार्यारंभ करेंगे तथा राष्ट्रीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में योगदान करेंगे। इसरो से इतर संस्थाओं जैसे एचएएल, डीआरडीओ एवं वांतरिक्ष क्षेत्र से संबंधित अनुषंगी उद्योगों में भी वे नौकरी कर सकेंगे। वे भी यांत्रिक इंजीनियरी स्नातकों की तरह अधिकांश पाठ्यक्रमों के अनुभव होने से, मोटर वाहन क्षेत्र, विद्युत क्षेत्र, विनिर्माण क्षेत्र, अनुसंधान और विकास संगठनों आदि में काम कर सकेंगे।